वैसे तो श्रीरामचरितमानस की हर चौपाई अपने आप में रामायण है, रोजाना पढ़ें रामचरित मानस की ये चौपाइयां, संकट होंगे दूर, सभी मनोकामनाएं भी होंगी पूरी.
मंगल भवन मंगल हारी। , द्रवहु सुदसरथ अजिर बिहारी॥1॥
जा पर कृपा राम की होई। ता पर कृपा करहिं सब कोई॥2॥
होइहि सोइ जो राम रचि राखा। को करि तर्क बढ़ावै साखा॥3॥
दीन दयाल बिरिदु सं भारी। हरहु नाथ मम सं कट भारी॥4॥
हो, जाकी रही भावना जैसी। प्रभु मूरति देखी तिन तैसी॥5॥
दैहिक दैविक भौतिक तापा। राम काज नहिं काहुहिं व्यापा॥6॥
सुनि प्रभु वचन हरष हनुमाना। सरनागत बच्छल भगवाना॥7॥
निज दुख गिरि सम रज करि जाना। मित्रक दुख रज मेरु समाना॥8॥
अपि स्वर्णमयी लङ्का न मे लक्ष्मण रोचते । जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी॥9॥
हनुमान तेहि परसा कर पुनि कीन्ह प्रनाम, राम काजु कीन्हें बिनु मोहि कहां विश्राम॥10॥