साधु Sadhu is a holy person in Hinduism sometimes alternatively referred to as yogi, sannyasi or vairagi.
साधु वैकल्पिक रूप से योगी, संन्यासी या वैरागी होते हैं। साधु -सन्यासी का मूल उद्देश्य समाज का पथ प्रदर्शन करते हुए धर्म के मार्ग पर चलकर मोक्ष प्राप्त करना है।
साधु का अर्थ है वह जो ‘साधना’ का अभ्यास करता है या आध्यात्मिक अनुशासन के मार्ग का उत्सुकता से पालन करता है।
साधु का जीवन पूरी तरह से मोक्ष प्राप्त करने के लिए समर्पित है साधु अक्सर साधारण कपड़े पहनते हैं, जैसे हिंदू धर्म में भगवा रंग के कपड़े, जैन धर्म में सफेद या कुछ भी नहीं!
शैव साधु शिव के प्रति समर्पित त्यागी होते हैं, और वैष्णव साधु विष्णु (या उनके अवतारों) के प्रति समर्पित त्यागी होते हैं।
प्रत्येक संप्रदाय में कई “आदेश” होते हैं जिन्हें संप्रदाय के संस्थापक की वंशावली के आधार पर परंपरा कहा जाता है। प्रत्येक संप्रदाय और परंपरा में कई मठ और अखाड़े हो सकते हैं।
योगी/जोगी – योगी योग का अभ्यासी होता है, साधु योगी हैं, लेकिन सभी योगी साधु नहीं हैं!
वैराग्य/ बैरागी – वैराग्य का अर्थ संसार की उन वस्तुओं एवं कर्मों से विरत होना है जिसमें सामान्य लोग लगे रहते हैं।
तपस्या/तपस्वी – एक जीवन शैली है जो अभ्यासी मुक्ति, मोक्ष या आध्यात्मिकता की खोज में एक मितव्ययी जीवन शैली अपनाते हैं!
नाथ/योगी – भारत और नेपाल में हिंदू धर्म के भीतर एक शैव उप-परंपरा है उनके अनुयायियों को जोगी / योगी के नाम से जाना जाता है!
शैव साधु अपने माथे पर त्रिपुंड चिन्ह लगाते हैं, केसरिया, लाल या नारंगी रंग के कपड़े पहनते हैं और मठवासी जीवन जीते हैं। अघोरी जैसे कुछ साधु प्राचीन कापालिकों की प्रथाओं को साझा करते हैं, जिसमें वे खोपड़ी के साथ भीख मांगते हैं,
श्मशान भूमि की राख अपने शरीर पर लगाते हैं, और उन पदार्थों या प्रथाओं के साथ प्रयोग करते हैं जो आम तौर पर समाज द्वारा मना हैं।
अघोरी – अघोर पंथ हिंदू धर्म का एक संप्रदाय है और इसका पालन करने वालों को ‘अघोरी’ कहते हैं।
अघोर पंथ के प्रणेता भगवान शिव माने हैं, अवधूत भगवान दत्तात्रेय को भी अघोरशास्त्र का गुरु माना जाता है।
अघोर का अर्थ है जो कि घोर न हो अर्थात् सहज और सरल हो, अघोर में स्थान भेद भी नहीं होता अर्थात् महल या श्मशान घाट एक समान होते हैं।
बनारस में अघोरी कहां रहते हैं ? – क्रीं-कुंड स्थित बाबा कीनाराम स्थल, वाराणसी के मणिकर्णिका घाट को अघोरियों का विशेष स्थान माना जाता है.!
नागा साधु – नागा साधु एक सैन्य पंथ है जो हिन्दू धर्मावलम्बी साधु हैं और नग्न रहते हैं और शुद्ध शरीर पर भस्म लगाते हैं,
तथा युद्ध कला में माहिर होने के लिये प्रसिद्ध हैं।
नागा साधु – सनातन धर्म की रक्षा के लिए योद्धाओं का एक समूह हैं।
ये विभिन्न अखाड़ों में रहते हैं जिनकी परम्परा आदिगुरु शंकराचार्य द्वारा की गयी थी। नागा साधुओं को लेकर कुंभ मेले में बड़ी जिज्ञासा और कौतुहल रहता है!
नाथ सम्प्रदाय – नाथ सम्प्रदाय के संस्थापक मत्स्येन्द्रनाथ – गोरखनाथ हैं, जो भारत में नाथ हिंदू मठवासी आंदोलन के संस्थापक थे! वह महाराष्ट्र में नौ संतों या नवनाथ में से एक थे!
योगी आदित्यनाथ – गोरखपुर में हिंदू मठ, गोरखनाथ मठ के महंत हैं, एक भारतीय हिंदू साधु और उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्यमंत्री हैं!
महंत बालकनाथ योगी – बाबा मस्तनाथ विश्वविद्यालय (बीएमयू) हरियाणा के कुलाधिपति और हिंदू धर्म के नाथ संप्रदाय के 8वें महंत भी हैं!
कुंभ मेला – कुंभ मेला हिंदू धर्म में एक प्रमुख तीर्थ और त्योहार है। कुंभ मेले में मनुष्यों की अब तक की सबसे बड़ी शांतिपूर्ण सार्वजनिक सभा देखी गई ! कुंभ मेला साधुओं के शिविर, अखाड़ों और जुलूस के लिए जाना जाता है!
इस समय भारत में कुल १३ प्रमुख अखाड़े हैं, इन प्रमुख अखाड़ों का संक्षिप्त विवरण इस प्रकार हैं
श्री निरंजनी अखाड़ा, श्री जूनादत्त या जूना अखाड़ा, श्री महानिर्वाण अखाड़ा:, श्री अटल अखाड़ा, श्री आह्वान अखाड़ा, श्री आनंद अखाड़ा, श्री पंचाग्नि अखाड़ा, श्री नागपंथी गोरखनाथ अखाड़ा:, श्री वैष्णव अखाड़ा:, श्री उदासीन पंचायती बड़ा अखाड़ा:, श्री उदासीन नया अखाड़ा:, श्री निर्मल पंचायती अखाड़ा और निर्मोही अखाड़ा: !
संन्यासी – संन्यास का व्रत धारण करने वाला संन्यासी कहलाता है, सनातन धर्म में जीवन के चार भाग (आश्रम) किए गए हैं- ब्रह्मचर्य, गृहस्थ, वानप्रस्थ और संन्यास। संन्यासी भौतिक आवश्यकताओं के प्रति उदासीन रहते हैं।
अंबुबाची मेला असम के गुवाहाटी में कामाख्या मंदिर में हर साल आयोजित होता है, हर साल पूरे भारत से साधुओं से लेकर काले कपड़े पहने अघोर, संन्यासी, खड़े-बाबा तक लाखों तीर्थयात्री इस त्योहार को मनाने के लिए गुवाहाटी आते हैं।
Very nicely explained and cleared many doubts